How Mosad Work: इजरायल की मोसाद है दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी, नाम सुनते ही छूट जाते हैं
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How Mosad Work: इजरायल की मोसाद है दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी, नाम सुनते ही छूट जाते हैं

इजरायल की मोसाद है दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी, नाम सुनते ही छूट जाते हैं दुश्मन के पसीने, जानिए कैसे करती है काम

Mossad: बात अगर दुनिया की सबसे अच्छी खुफिया एजेंसी की हो तो इजरायल के मोसाद का नाम दूसरे नंबर पर आता है. इस खुफिया एजेंसी ने कई ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दिया है जिसे सुनकर दुश्मन के पसीने छूट जाते हैं.



Israel Intelligence Agency Mosad: पिछले दिनों फिलिस्तीन समूह हमास ने इजरायल की धरती पर ताबड़तोड़ हमले किए. आतंकियों ने गाजा से इजरायली धरती पर करीब 5000 रॉकेट दागे. इसके अलावा हमास के लड़ाके इजरायल के शहरों में घुसे और घरों में घुसकर कई लोगों को मौत के घाट उतारा, जबकि कई को अपने साथ अगवा करके ले गए. इन हमलों में सैकड़ों लोग मारे गए, जो 1973 के योम किप्पुर युद्ध के बाद से इजरायली धरती पर सबसे भीषण हमला था. इस हमले ने इजरायल की दो मशहूर खुफिया एजेंसी शिन बेट और मोसाद की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए.


हमास के हमले को दोनों सुरक्षा एजेंसी की बड़ी चूक के रूप में देखा गया. पर ऐसा नहीं है. इस हमले से पहले का इतिहास देखें तो आपको पता चलेगा कि इजरायल की खुफिया एजेंसी कितनी मजबूत है और कैसे काम करती है.


पहले मोसाद को समझें


इजरायल (Israel) के पास तीन खुफिया संगठन हैं. इन के जिम्मे देश की सुरक्षा का जिम्मा है. इसमें अमन (Aman) नाम की एजेंसी सेना की खुफिया जानकारियों को इकट्ठा करती हैं. इजरायल की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी शिन बेट (Shin Bet) की होती है. वहीं, तीसरी और सबसे बड़ी एजेंसी मोसाद (Mossad) है. मोसाद (Mossad) की पहचान ऐसी एजेंसी के रूप में होती है, जो अपने दुश्मनों को उनके ठिकानों पर ही मारने में सक्षम है.



मोसाद का काम विदेशी खुफिया जानकारियां जुटाना. इन जानकारियों का विश्लेषण करना और सीक्रेट ऑपरेशन्स को अंजाम देना होता है. मोसाद की स्थापना दिसंबर, 1949 में एक समन्वय संस्थान के रूप में हुई थी. मोसाद का वार्षिक बजट 3 बिलियन डॉलर है. इसमें 7,000 स्टाफ काम करते हैं. मोसाद सीआईए के बाद पश्चिम में दूसरी सबसे बड़ी जासूसी एजेंसी है.


मोसाद कैसे काम करता है?


मोसाद किसी भी दुश्मन को खत्म करने से पहले उसकी पहचान करता है. हत्या के लिए टारगेट की पहचान करने के लिए भी कई चरण होते हैं. टारगेट से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी एजेंसी जुटाती है. इसके बाद बाहर तैनात इसके एजेंट्स उसे खत्म करने के काम में लग जाते हैं. इसके बाद यह प्लान किया जाता है कि दुश्मन को कैसे खत्म करना है. एक बार जब मोसाद की स्पेशल यूनिट अपने टारगेट की सभी जानकारी जुटाकर फाइल तैयार कर लेती है तो उसे ‘इंटेलिजेंस सर्विस कमिटी’ के प्रमुख को भेजा जाता है. इस कमिटी में इजरायल के खुफिया संगठनों के चीफ को रखा जाता है. इन्हें VARASH भी कहा जाता है.

VARASH सिर्फ ऑपरेशन पर चर्चा करता है और इस पर इनपुट देने का काम करता है. इसे किसी ऑपरेशन को ऑफिशियल मंजूरी देनी का अधिकार नहीं है. यहां आपको बता दें कि इजरायल के पीएम के पास ही इसकी मंजूरी देने का अधिकार होता है. पीएम से मंजूरी मिलते ही मोसाद अपने ऑपरेशन में लग जाती है.

इसके बाद नंबर आता है कैसरिया यूनिट का. कैसरिया मोसाद की एक अंडरकवर ऑपरेशनल ब्रांच है. इसके एजेंट दुनियाभर में तैनात हैं. इस यूनिट की स्थापना 1970 के दशक की शुरुआत में की गई थी. इस टीम का काम टारगेट के संबंध में जानकारी जुटाना और उस पर नजर रखना होता है. इसके बाद इस टीम के कुछ प्रोफेशनल किलर भी रहते हैं जो अपने दुश्मन की हत्या करके भागने में माहिर होते हैं.

सारी चीजें तय होने के बाद दुश्मन को मारने का नंबर आता है. इस काम में कैसरिया यूनिट के कई खास एजेंट माहिर होते हैं. वह उन्हें मारकर चुपचाप निकल जाते हैं. इसकी भनक किसी को नहीं लगती.


ये हैं मोसाद के कुछ महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट


मोसाद में कई विभाग होते हैं. कुछ विभाग की जानकारी गोपनीय है, जिनके बारे में सूचना बाहर है उनमें कलेक्शन डिपार्टमेंट प्रमुख है. यह मोसाद का सबसे बड़ा डिवीजन है, जो दुनिया भर में जासूसी अभियानों के लिए जिम्मेदार है. यह राजनीतिक कार्रवाई और संपर्क विभाग राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करता है और मित्रवत विदेशी खुफिया सेवाओं और उन देशों के साथ काम करता है जिनके साथ इज़रायल के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं.

इसके बाद स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन का नाम आता है. इसे मेत्साडा के नाम से भी जाना जाता है. इसका काम अत्यधिक संवेदनशील हत्याएं, तोड़फोड़, अर्धसैनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध अभियान चलाना है.

मोसाद का एक और महत्वपूर्ण विभाग एलएपी (लोहामा साइकोलोगिट) है. यह मनोवैज्ञानिक युद्ध, प्रचार और दुश्मन को धोखा देने में माहिर है. मोसाद के रिसर्च डिपार्टमेंट का काम खुफिया जानकारी जुटाना है. इसके बाद आईटी डिपार्टमेंट भी अहम है. इसका काम मोसाद संचालन का समर्थन करने के लिए उन्नत तकनीक विकसित करता है.


सुबह-सुबह क्या-क्या ब्रीफिंग होती है?


मोसाद के एजेंट्स दुनियाभर में फैले हुए हैं. ये सभी मिलकर खुफिया जानकारी जुटाते हैं. इसमें हर तरह की जानकारी होती है. चाहे फिर वह देश से जुड़ी हो या दुनिया के दूसरे देश से संबंधित. इसके बाद मोसाद के सीनियर अफसर इसकी फाइल बनाकर इसकी सूचना इजरायल डिफेंस फोर्स को भी शेयर करते हैं. ताकि देश की रक्षा से जुड़े मामलों में वह उचित एक्शन ले सके. यह ब्रीफिंग समय-समय सुबह के वक्त होती रहती है.


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